बेटे-बहू के साथ नहीं रहते, नहीं बनता दहेज प्रताड़ना का प्रकरण - Madhya Pradesh

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बेटे-बहू के साथ नहीं रहते, नहीं बनता दहेज प्रताड़ना का प्रकरण

बेटे-बहू के साथ नहीं रहते, नहीं बनता दहेज प्रताड़ना का प्रकरण

#If sons and daughters-in-law do not live together, there is no case of dowry harassment.

Highlights :

  • गिरफ्तारी की तलवार लटक गई। जमानत लेनी पड़ी
  • न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने प्रारंभिक सुनवाई की
  • विवाह के बाद अलग रहने लगे। उनसे परिवार को कोई नाता नहीं रहा

जबलपुर :  हाई कोर्ट में एक याचिका के जरिए सास-ससुर व देवर ने साफ किया कि वे बेटे-बहू के साथ नहीं रहते। इसलिए दहेज प्रताड़ना का प्रकरण नहीं बनता। इसके बावजूद पुलिस ने अपराध कायम कर लिया। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने मामले पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद राज्य शासन, गृह सचिव, एसपी कटनी, थाना प्रभारी एनकेजे कटनी व निशा प्रतापति को नोटिस जारी किए हैं।

विवाह के बाद अलग रहने लगे। उनसे परिवार को कोई नाता नहीं रहा

याचिकाकर्ता कटनी निवासी धनीराम चक्रवर्ती, सनोती चक्रवर्ती व संदीप चक्रवर्ती की ओर से अधिवक्ता मनीष मेश्राम व अंचन पांडे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि धनीराम के बड़े बेटे महेंद्र चक्रवर्ती का विवाह निशा प्रजापति के साथ हुआ था। विवाह के बाद निशा और महेंद्र अलग रहने लगे। उनसे परिवार को कोई नाता नहीं रहा। इस बीच निशा और महेंद्र के बीच किसी बात को लेकर तनातनी हो गई।

सास-ससुर व देवर पर भी दहेज प्रताड़ना का आरोप लगा दिया

निशा ने न केवल अपने पति महेंद्र बल्कि सास-ससुर व देवर पर भी दहेज प्रताड़ना का आरोप लगा दिया। एक लाख रुपये मांगने का अनुचित दोषारोपण किया। जबकि अलग रहने के कारण दहेज की मांग जैसी बात सर्वथा अतार्किक प्रतीत होती है। पुलिस ने इस तथ्य को संज्ञान में लिए बिना झूठी शिकायत के आधार पर प्रकरण कायम कर लिया। इस वजह से गिरफ्तारी की तलवार लटक गई। जमानत लेनी पड़ी। हाई कोर्ट इसी प्रार्थना के साथ आए हैं कि अनुचित एफआइआर निरस्त कराई जाए


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