प्यास के बावजूद पानी नहीं पी पाते रैबीज के मरीज, लक्षण और भी हैं - Madhya Pradesh

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प्यास के बावजूद पानी नहीं पी पाते रैबीज के मरीज, लक्षण और भी हैं

प्यास के बावजूद पानी नहीं पी पाते रैबीज के मरीज, लक्षण और भी हैं

#Rabies patients are unable to drink water despite thirst, there are other symptoms too

Highlights :
  • घर में पली बिल्ली, कुत्ते कहीं चाट लें तो भी रैबीज का खतरा हो सकता है
  • पालतू जानवर के थूक के संपर्क में आने से कोई भी रैबीज का शिकार हो सकता है
  • रैबीज के लक्षण सामने आने में चार दिन से लेकर कुछ वर्ष तक लग सकते हैं

जबलपुर : रैबीज से ग्रस्त मरीज प्यास लगने के बावजूद पानी नहीं पी पाते हैं। बात-बात पर भड़कने लगते हैं, हिंसक व्यवहार करने लगते हैं। अंतत: शरीर में दर्द व चीख पुकार से उनकी मृत्यु हो जाती है। इसलिए रैबीज से बचाव आवश्यक है। रैबीज संवाहक कोई जानवर जैसे कुत्ता, बिल्ली, बंदर आदि काट ले तो शरीर के उस हिस्से को साबुन पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए।

चिकित्सीय परामर्श लेते हुए 24 घंटे के भीतर एंटी रैबीज टीका लगवाए

चिकित्सीय परामर्श लेते हुए 24 घंटे के भीतर एंटी रैबीज टीका लगवाना चाहिए। असल में रैबीज विषाणुजनित जानलेवा बीमारी है। जिसकी मुख्य वजह न्यूरोट्रोपिक लाइसिसिवर्स नामक वायरस है। यह वायरस संक्रमित जानवरों के काटने व खरोंचने से फैलता है। यदि घर में पली बिल्ली, कुत्ते कहीं चाट लें तो भी रैबीज का खतरा हो सकता है। पालतू जानवर के थूक के संपर्क में आने से कोई भी रैबीज का शिकार हो सकता है।

पालतू जानवरों को भी रैबीज का टीका अनिवार्य रूप से लगवाएं

रैबीज के लक्षण सामने आने में चार दिन से लेकर कुछ वर्ष तक लग सकते हैं। इसलिए घर में पालतू जानवरों को भी रैबीज का टीका अनिवार्य रूप से लगाना चाहिए। रैबीज संक्रमित कुत्ते के काटने से जान का जोखिम बढ़ जाता है। इस बीमारी का सटीक उपचार इससे बचाव ही है। यदि किसी कुत्ते ने काट लिया है तो उसके व्यवहार पर भी नजर रखनी चाहिए। उसके व्यवहार में बदलाव से रैबीज का संकट बढ़ सकता है।

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