जबलपुर : कूनो में चीतों को बसाने का फैसला गलत रहा - Madhya Pradesh

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जबलपुर : कूनो में चीतों को बसाने का फैसला गलत रहा

जबलपुर : कूनो में चीतों को बसाने का फैसला गलत रहा

#Jabalpur: The decision to settle leopards in Kuno was wrong.

Highlights :
  • नाइजीरिया और दक्षिण आफ्रिका से कुल 18 चीते लाए गए थे, जिनमें नौ शेष हैं
  • चीतों के सरवाइव करने की संभावना देश के अन्य अभयारण्यों की अपेक्षा ज्यादा है
  • श्योपुर का कूनो अभयारण्य चीतों के लिए उपयुक्त ही नहीं रहा
 
जबलपुर : वन विभाग के एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी ने सनसनीखेज बयान दिया है। पूर्व चीफ कंजरवेटर आफ फारेस्ट डा.एसपीएस तिवारी का कहना है कि श्योपुर का कूनो अभयारण्य चीतों के लिए उपयुक्त ही नहीं रहा। इस मामले में राजस्थान के मुकुंदरा नेशनल पार्क को दरकिनार किया गया, जबकि वहां चीतों के सरवाइव करने की संभावना देश के अन्य अभयारण्यों की अपेक्षा ज्यादा है।

नाइजीरिया और दक्षिण आफ्रिका से कुल 18 चीते लाए गए थे, जिनमें नौ शेष हैं

श्योपुर के कूनो अभयारण्य में विदेशी चीतों की आए दिन होती मौतों के बीच आइएफएस डा. एसपीएस तिवारी का कहना है कि नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों को बाड़ों (बंद क्षेत्र) में पाला गया था, और यहां खुले क्षेत्र में लाकर छोड़ दिया गया। उन चीतों के लिए श्योपुर का कूनो अभयारण्य अनुकूल ही नहीं रहा। बता दें कि नाइजीरिया और दक्षिण आफ्रिका से कुल 18 चीते भारत लाए गए थे, जिनमें से अब केवल नौ शेष हैं।

आइएफएस डा. तिवारी का कहना है कि चीता लंबी रेस लगाकर शिकार करने का आदी होता है, लेकिन श्योपुर के कूनो में चीतों के दौड़ने के लिए पर्याप्त स्पेस ही नहीं है। कूनो की भौगोलिक स्थिति विदेशी चीतों के लिए कभी उपयुक्त नहीं रही। चीतों को दौडने-भागने के लिए बड़े मैदान की आवश्यकता होती है, जो किलोमीटरों में होना चाहिए। मध्यप्रदेश टाइगर स्टेट है। यहां से 70 साल पहले चीते समाप्त हो चुके हैं।

चाहिए वाइल्ड लाइफर का दृष्टिकोण

इस आइएफएस का यह भी दावा है कि राजस्थान का एक अभयारण्य (मुकुंदरा राष्ट्रीय उद्यान) चीतों के लिए उपयुक्त है। लेकिन, अज्ञात कारणों के चलते राजस्थान की बजाय श्योपुर के जंगलों में चीतों को बसाने का निर्णय लिया गया। पूर्व सीसीएफ का कहना है कि चीतों को पालने और उनकी संख्या बढ़ाने वाइल्ड लाइफर के नजरिए से प्रयास करने होंगे। उनकी बसाहट के लिए विशेषज्ञों की कमेटी बनाकर रणनीतिक रूप से तैयारी करना होगी। चीतों को बसाने का प्रयास अच्छा है, लेकिन वाइल्ड लाइफ दृष्टिकोण अपनाए बिना ऐसा किया जा पाना संभव नहीं होगा।

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