अपनी मर्जी से तलाक लेने वाली महिला भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं : हाईकोर्ट का आदेश - Madhya Pradesh

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अपनी मर्जी से तलाक लेने वाली महिला भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं : हाईकोर्ट का आदेश

अपनी मर्जी से तलाक लेने वाली महिला भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं : हाईकोर्ट का आदेश

#A woman who divorces herself on her own will is not entitled to maintenance: High Court order

केरल। केरल हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि एक मुस्लिम महिला जिसने 'खुला' के तहत तलाक लिया है, वह इसके प्रभावी होने के बाद अपने पति से भरण-पोषण का दावा नहीं कर सकती। मुस्लिम समुदाय में 'खुला' सहमति से दिए तलाक को कहा जाता है। इसमें पत्नी शादी से अलग होने के लिए पति से सहमति जताती है। न्यायमूर्ति ए बदरुद्दीन ने कहा कि एक मुस्लिम महिला दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत पुनर्विवाह होने तक भरण-पोषण का दावा कर सकती है। लेकिन इस प्रावधान के खंड चार में कहा गया है कि यदि वह अपने पति के साथ रहने से इनकार करती है या यदि वे आपसी सहमति से अलग रह रहे हैं तो वह भरण-पोषण या अंतरिम भरण-पोषण की हकदार नहीं होगी। कोर्ट ने टिप्पणी की कि जब पत्नी अपने पति से मुक्ति पाने के लिए 'खुला' के जरिए से तलाक लेती है, तो वास्तव में यह पत्नी द्वारा अपने पति के साथ रहने से इनकार करने के बराबर है। यदि वह पत्नी, जिसने अपनी इच्छा से 'खुला' द्वारा तलाक ले लिया है और इस तरह स्वेच्छा से अपने पति के साथ रहने से इंकार कर दिया है, तो वह 'खुला' की तारीख से भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं है।

हाईकोर्ट ने यह फैसला तब सुनाया जब एक व्यक्ति ने पारिवारिक अदालत के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें उसे अपनी पूर्व पत्नी और बेटे को हर महीने 10 हजार का भत्ता देने का निर्देश दिया गया था। हाईकोर्ट ने मामले और उसके रिकॉर्ड पर गौर करते हुए पाया कि दोनों पक्ष 31 दिसंबर 2018 से अलग-अलग रह रहे थे और उनके बीच मुकदमा 2019 में शुरू हुआ। अदालत ने इस तथ्य को भी ध्यान में रखा कि पत्नी के पास अपना और अपने बच्चे का भरण-पोषण करने के लिए कोई स्थायी आय या रोजगार नहीं था। लेकिन हाईकोर्ट ने कहा कि 'खुला' के तहत विवाह समाप्त होने तक पत्नी और बेटे को गुजारा भत्ता दिया जाना चाहिए और अदालत ने मामला बंद कर दिया