युद्ध के बीच इजरायल पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति बाइ़डेन - Madhya Pradesh

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युद्ध के बीच इजरायल पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति बाइ़डेन

युद्ध के बीच इजरायल पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति बाइ़डेन

#US President Biden reached Israel amid war

इजरायल और हमास के युद्ध में अमेरिका की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। हमास के खूंखार हमले के बाद अमेरिका ने इजरायल का समर्थन करते हुए उसके ऐक्शन को जायज करार दिया था। तब कई अरब देश भी उस हमले को गलत बता रहे थे, लेकिन अब गाजा पट्टी पर इजरायल के भीषण हमलों ने हालात बदल दिए हैं। कई अरब देश अब इजरायल के खिलाफ हैं और उसका समर्थन करने वाले अमेरिका से भी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। मंगलवार को गाजा पट्टी के एक अस्पताल में हुए अटैक के बाद तो हालात और बिगड़ गए हैं। इजरायल इस हमले के लिए हमास को जिम्मेदार बता रहा है, लेकिन अरब देश उस पर ही आरोप लगा रहे हैं।

यही नहीं इस हमले के बाद जॉर्डन, मिस्र और फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के साथ जो बाइडेन की समिट को भी रद्द कर दिया गया है। तीनों ही अरब देशों ने इस हमले पर विरोध जताते हुए कहा है कि यह गलत है और ऐसी स्थिति में वार्ता नहीं हो सकती। अरब देशों का यूं बातचीत से ही इनकार करना अमेरिका के लिए भी झटका है, जो वार्ता की मेज पर लाकर युद्ध खत्म कराना चाहता था। यही नहीं इन देशों से पहले सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को जलील कर चुके हैं।

क्राउन प्रिंस से मिलने रियाद पहुंचे ब्लिंकन को मीटिंग के लिए 15 घंटे तक इंतजार करना पड़ा था। शाम को शेड्यूल मीटिंग के लिए वह इंतजार करते रहे और प्रिंस ने उनसे अगली सुबह ही बात की। गौरतलब है कि इस पूरे संकट में अमेरिका और यूरोपीय देश फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन तो इजरायल के साथ खड़े हैं, लेकिन एशियाई देश अलग ही हैं। रूस और चीन ने तो खुलकर इजरायल का ही विरोध किया है। वहीं भारत ने संतुलन की नीति अपनाते हुए हमास के हमले को बर्बर बताया तो वहीं फिलिस्तीन मसले के लिए टू स्टेट सिद्धांत की भी बात कर दी।

ऐसे में अरब देश, चीन और रूस का एक बड़ा गुट इजरायल के खिलाफ है और अमेरिका के लिए किसी समझौते पर पहुंचना मुश्किल हो रहा है। अरब देशों पर ईरान के प्रभाव ने भी चिंता बढ़ा दी है। लेबनान, सीरिया और मिस्र में ईरान का दखल बढ़ रहा है और उसके विदेश मंत्री ने तो दौरे भी किए हैं ताकि समर्थन जुटाया जा सके। इस तरह के हालात में अमेरिका के लिए इजरायल का समर्थन और विरोध दोनों ही मुश्किल हो गया है।

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