करोड़ों रुपये का हजारों क्विंटल गेहूं सड़ने की कगार पर, जिम्मेदारी किसी की तय नहीं - Madhya Pradesh

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करोड़ों रुपये का हजारों क्विंटल गेहूं सड़ने की कगार पर, जिम्मेदारी किसी की तय नहीं

करोड़ों रुपये का हजारों क्विंटल गेहूं सड़ने की कगार पर, जिम्मेदारी किसी की तय नहीं

#Thousands of quintals of wheat worth crores of rupees are on the verge of rotting, responsibility is not fixed on anyone.

Highlights :
  • गेहूं के भंडारण में खामी
  • 13 करोड़ रुपये का गेहूं बर्बाद होने का अनुमान
  • आंकड़े में और भी इजाफा होने की संभावना

जबलपुर : धान और मूंग के रखरखाव में गड़बड़ी की शिकायत के बाद अब गेहूं के भंडारण में खामी देखने को मिली है। इस खामी के चलते करीब 13 करोड़ रुपये का गेहूं बर्बाद होने का अनुमान लगाया जा रहा है। यह आंकड़ा कुछ गिने चुने वेयर हाउसों का है। जिले के अनेक आला अफसर गोदामों की जांच की जा रही हैं। लिहाजा इस आंकड़े में और भी इजाफा होने की संभावना है।

कुछ समय पहले जानकारी लगी थी कि कुंडम, भेड़ाघाट, शहपुरा आदि क्षेत्रों के वेयर हाउसों में वर्ष 2018 से रखा हजारों क्विंटल गेंहू सड़ चुका है। उस गेहूं को सड़ा मानकर नीलाम भी कर दिया गया। अब पता चला है कि वर्ष 2021-22 में रखा गेंहू भी सड़ने की कगार पर आ गया है, इसकी मात्रा भी कम नहीं बल्कि हजारों क्विंटल है।

एक लाख दस हजार बोरी गेहूं खराब

बताया जा रहा है कि केवल कटंगी क्षेत्र के ही कुछ वेयर हाउसों में रखा करीब एक लाख दस हजार बोरी गेहूं खराब हो गया है। इस गेहूं की कीमत लगभग 13 करोड़ रुपये है। दिखावे के लिए संबंधित वेयर हाउसों में गेंहू को साफ कराने का प्रयास किया जा रहा है। जिम्मेदारों का कहना है कि बड़ी मात्रा में कीड़ों ने गेंहू को नष्ट कर दिया है। इसी प्रकार सिहोरा, पाटन, बड़खेरा, करारी आदि क्षेत्रों के वेयर हाउसों में भी बड़ी मात्रा में गेंहू खराब होने की जानकारी मिल रही है। कुछ गोदामों में रखे अनाज की तो नीलामी भी हो चुकी है और कुछ को नीलाम किए जाने की तैयारी है। इसके लिए अधिकारियों की टीम से वेयर हाउसों का निरीक्षण कराया जा रहा है। ताकि इसका अंदाजा लगाया जा सके कि खराब हुए गेहूं की मात्रा कितनी है।


दवाओं के छिड़काव में लापरवाही

गेहूं खराब होने का कारण फौरी तौर पर उसमें पर्याप्त माात्रा में केमिकल और दवाओं का छिड़काव नहीं कराया जाना है। इसके लिए अधिकारियों के साथ वेयर हाउस संचालक भी जिम्मेदार हैं। वेयर हाउस संचालकों को किराए के साथ दवाओं और रसायनों का भी पैसा मिलता है, लेकिन वो अपर्याप्त मात्रा में उसका छिड़काव करते हैं।


इसके अलावा वेयर हाउस डबल लाक होते हैं। एक ताले की चाबी वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन के मैनेजर के पास रहती है, जबकि दूसरी वेयर हाउस संचालक के पास। यानी अफसरों को सब पता रहता है कि संचालक ने कब कब और कितनी दवा का छिड़काव किया है। इसी प्रकार से वेयर हाउस संचालक साल दो तो किराए के लालच में गेहूं बाहर नहीं निकलने देते हैं, बाद में जब अनाज सड़ने लगता है तो उठाव के लिए दबाव बनाते हैं।

जिम्मेदारी किसकी ये तय नहीं

इस गड़बड़ी में करोड़ों के नुकसान की जिम्मेदारी किसी होगी यह अब तक तय नहीं है। पहले के मामलों में भी जिम्मेदारी नहीं तय हो पाई है। क्योंकि इस प्रक्रिया में केवल डब्ल्यूएचएलसी और गोदाम संचालक ही शामिल नहीं होते बल्कि डीएमओ, मार्कफेड और नागरिक आपूर्ति निगम जैसे विभागों के अमले भी शामिल रहते हैं, इसलिए किसी पर कार्रवाई मुश्किल हो जाती है।

जिले में अनेक वेयर हाउसों में रखा करीब 55 हजार क्विंटल गेहूं खराब हो चुका है। इसकी कीमत करीब 13 करोड़ रुपये है। वेयर हाउसों की जांच जिले के विभिन्न अधिकारियों द्वारा की जा रही हैं। जल्द रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी जाएगी। -दिलीप किरार, जिला प्रबंधक नागरिक आपूर्ति निगम
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